अधूरी ख्वाईश, खालिस तरीके
(1)
गर चाहिए कुछ ऐसा ,
जो मिला ना था अबसे पहले /
तो करना कुछ ऐसा,
जो किया ना था अबसे पहले //
(2)
इक लम्हा ठहर के ,
जब देखा इस मुकाम को /
बनाए इन ज़रिये , सलीके,
तमाम इंतज़ाम को //
(3)
जिनको बहुत देर से और दूर से ,
अपने में शामिल करता रहा /
फकत भरने के एहतिराम से,
अपने को भरता रहा //
(4)
शायद खालीपन के खौफ से,
और कुछ दुनिया के ज़ौक़ से /
अपने को अपनी इस आदत से,
बार-बार बेख़ौफ़ मैं करता रहा //
(5)
इक आलिशान महल बनाया मैंने,
सब फानी-लाफ़ानी ख्यालों का /
दुनियाँ के दिए जवाबों का,
दुनियाँ के पूछे सवालों का //
(6)
कुछ था नहीं मेरा यहां,
सिवाए जुड़ने के गुबार से /
सिर्फ इसी आदत ने मुझे,
दबा दिया कुछ होने के भार से //
(7)
मन ,बेमन की कसरत से मैंनेआजतक था जो कुछ जोड़ा /कभी जरुरी या जरुरत से ज्यादागैरजरूरी या चाहत से थोड़ा // |
(8)
कभी होश से , कभी नींद से,
कभी अध्-बुने सपनों से /
कभी पिछ्ले, परले परायों से
कभी आगे,अगले अपनों से //
(9)
जो ये सब दूर से पाया था , मैंने,
जब नज़दीक से देखा, मैंने /
उसी लम्हा मेरा अपना ,
खालिस पहला ख़याल था //
(10)
जोकि खुद एक जवाब था,
और खुदही एक सवाल था /
जिसकी तासीर में कशिश,
और तबियत में ज़लाल था //
(11)
दुल्हन सा खूबसूरत,
खामोश-सुर्ख, ये ख़याल है /
जिसके हमसफ़र का सफर,
हकीकी ज़िन्दगी का गुलाल है //
(12)
ये दस्ताने-मंज़िल है,
हकीकत पर्दाफरोश की /
न ये फानी , नाही लाफ़ानी,
फकत आज़ाद होश की //
(13)
हम चुके तभी,
जब दिनया से बेहले /
दुनिया की सुनी,
दुनिया से कहले //
(14)
(लेकिन जिसे ,)
गर चाहिए कुछ ऐसा,
जो मिला ना था अबसे पहले /
तो करना कुछ ऐसा,
जो किया ना था अबसे पहले //
Unfulfilled Desires? Must you, Reinvent your Efforts
Great poem!
Very nice poem